
जगन्नाथ मंदिर एक विश्वप्रसिद्ध हिन्दू तीर्थस्थल है जो पुरी, ओडिशा में स्थित है। यह मंदिर भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण) को समर्पित है, और यह भारत के चार धामों में से एक है .
मुख्य विशेषताएँ:
1. मंदिर का इतिहास:
इसे 12वीं शताब्दी में राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने बनवाया।
यह मंदिर वास्तुकला की दृष्टि से “कलिंग शैली” का अद्भुत उदाहरण है।
2. मुख्य देवता:
भगवान जगन्नाथ (कृष्ण का रूप)
भगवान बलभद्र (कृष्ण के भाई)
देवी सुभद्रा (कृष्ण की बहन)
इनकी मूर्तियाँ लकड़ी की बनी होती हैं, जो कि अन्य किसी भी प्रसिद्ध मंदिर से अलग है।
3. पौराणिक कथा (संक्षेप में):
कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण के शरीर के अंतिम अवशेष (नाभि) को एक लकड़ी के लठ्ठे में बदल दिया गया था। भगवान विष्णु ने एक वृद्ध बढ़ई का रूप लिया और उस लकड़ी से मूर्तियाँ बनाईं, लेकिन बिना देखे। राजा ने अधीर होकर दरवाजा खोला और मूर्तियाँ अधूरी रह गईं। वही अधूरी मूर्तियाँ आज भी पूजा में हैं – यही जगन्नाथ स्वरूप
4. रहस्यमयी बातें:
मंदिर का ध्वज हवा के विपरीत दिशा में लहराता है।
रसोई में हर दिन 56 भोग बनते हैं, और न कभी कम होता है, न ज़्यादा।
मंदिर की ऊँचाई इतनी है कि उसके ऊपर से मंदिर की छाया कभी ज़मीन पर नहीं पड़ती (कहा जाता है)।
5. रथ यात्रा:
साल में एक बार (जून-जुलाई), भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है।
तीन विशाल रथों में मूर्तियों को गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है।
लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं, और इसे खींचने को सबसे बड़ा पुण्य मानतेहै

